Navratri: वैसे तो मां के 9 रुप है और हर रुप का अपना एक महत्व है. पहला रुप मां का मां शैलपुत्री है. आइए शैलपुत्री की कथा इस प्रकार है:
शैलपुत्री देवी दुर्गा का पहला रूप है, जो नवरात्रि के पहले दिन पूजी जाती है। उनका नाम “शैलपुत्री” हिमालय के पुत्री होने के कारण पड़ा है।
कथा के अनुसार, हिमालय की पुत्री पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को शक्ति और साहस प्राप्त होता है। उनकी पूजा में निम्नलिखित मंत्र का जाप किया जाता है:
“ॐ शैलपुत्र्यै नमः”
शैलपुत्री की पूजा के लिए निम्नलिखित चीजें आवश्यक हैं:
शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र
फूल
फल
धूप
दीप
प्रसाद
शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ होते हैं:
शक्ति और साहस प्राप्त होता है
जीवन में सुख और समृद्धि आती है
व्यक्ति को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद मिलती है