Bhupinder Hooda: भूपेंद्र सिंह हुड्डा को वाड्रालैंड डील में बड़ा झटका लगा है. वाड्रा लैंड डील मामले में भूमि सौदे के घोटाले की जांच के लिए गठित ढींगरा आयोग की वैधता पर तीन जजों की अलग-अलग राय को आधार बनाते हुए इस मामले को किसी अन्य जज को रेफर करने की मांग को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया.
9 मई को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की खंडपीठ ने ढींगरा आयोग को चुनौती देने वाली याचिका पर हुड्डा को झटका देते हुए आयोग के गठन को सही माना था. हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकार ने आयोग को समाप्त नहीं किया था केवल उसके कार्य को समाप्त माना था, ऐसे में आयोग आज भी अस्तित्व में है। सरकार चाहे तो आयोग को जांच आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी दे सकती है. हाईकोर्ट ने यह आदेश जारी करते हुए हुड्डा की 8 साल पुरानी याचिका का निपटारा कर दिया.
हुड्डा ने याचिका दाखिल कर कहा था कि कमिशन ऑफ इंक्वायरी एक्ट के सेक्शन 3 के तहत ही जांच का आदेश दिया जा सकता है. इसके लिए जांच का विषय कैबिनेट के सामने रखना अनिवार्य होता है जो नहीं किया गया. मुख्यमंत्री ने यह निर्णय अकेले लिया है और यह भी नहीं बताया कि ऐसी क्या विषय वस्तु उनके पास थी जिसके आधार पर जनहित में कमिशन का गठन करना अनिवार्य था.
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या महज अखबारों में छपी सुर्खियों के आधार पर आयोग का गठन किया जा सकता है। याचिका में बताया गया कि 2019 में जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस अनुपेंद्र ग्रेवाल की खंडपीठ इस मामले का फैसला सुनाने वाली थी लेकिन आयोग को लेकर दोनों की राय बटी हुई थी। जस्टिस मित्तल ने कहा कि आयोग जांच के लिए नए सिरे से हुड्डा को नोटिस जारी कर सकता है तो जस्टिस अनुपिंदर सिंह ने कहा कि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त 2016 को खत्म हो चुका है और ऐसे में उसे नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है। सरकार चाहे तो नए आयोग का गठन कर सकती है। इसके बाद नए सिरे से सुनवाई के लिए खंडपीठ का गठन किया गया था।
खंडपीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि आयोग का गठन 2015 में हुआ था और उसने अपनी रिपोर्ट 31 अगस्त 2016 में दी थी। राज्यपाल ने 2 सितंबर 2016 को आयोग का कार्य समाप्त होने की अधिसूचना जारी की थी लेकिन आयोग को समाप्त करने के लिए सेक्शन 7 की नोटिफिकेशन नहीं जारी की गई थी।
यह नोटिफिकेशन जारी न होने के चलते आयोग आज भी अस्तित्व में है, भले ही वह निलंबित अवस्था में है। इसके साथ ही आयोग ने जो रिपोर्ट सौंपी थी वह मंजूर नहीं हुई और ऐसे में यह भी नहीं कहा जा सकता कि आयोग का काम पूरा हो चुका है। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने हुड्डा की याचिका का निपटारा कर दिया और आयोग को सही और वर्तमान में प्रभाव में करार दिया था।