Election Commission: EVM को लेकर चुनाव आयोग के एक फैसला दिया है. आयोग ने कहा है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बाद ईवीएम में छेड़छाड़ के मामले की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था. अब उस निर्देश आयोग ने कहा है कि जांच के लिए जो भी आवेदन करने वाले असंतुष्ट उम्मीदवार होंगे उनको चुनाव आयोग ने कई विकल्प देगा.
विकल्प ये है कि उम्मीदवार अब से अपने विधानसभा क्षेत्र के किसी भी मतदान केंद्र से ईवीएम को चुन सकते हैं। विकल्प में मॉक पोल और मॉक वीवीपैट पर्ची की गणना को भी शामिल किया जाएगा..बता दें कि चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की बर्न्ट मेमोरी/माइक्रोकंट्रोलर की जांच/सत्यापन के लिए लोकसभा के आठ और विधानसभा के तीन उम्मीदवारों ने आवेदन किया था.
चुनाव आयोग ने अब जारी मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार दूसरे और तीसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवारों को कई रैंडम टेस्ट चुनने का विकल्प दिया है। चुनाव आयोग ने कहा कि नियंत्रित वातावरण से आगे जाकर बर्न्ट मेमोरी की जांच और सत्यापन प्रक्रिया फर्मवेयर में किसी भी पूर्वाग्रह या छिपी हुई कार्यक्षमता की संभावना या आशंका को समाप्त करती है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में हेराफेरी के संदेह को निराधार बताया था. सर्वोच्च न्यायलय ने 26 अप्रैल को पुरानी पेपर बैलेट प्रणाली को वापस लाने की मांग को खारिज कर दिया था। हायरकोर्ट ने उसी समय चुनाव परिणामों में दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाले उम्मीदवारों को चुनाव पैनल को शुल्क का भुगतान करके लिखित अनुरोध पर प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच प्रतिशत ईवीएम में लगे माइक्रो-कंट्रोलर चिप्स के सत्यापन की अनुमति दी थी.
निर्वाचन आयोग ने कहा कि पात्र उम्मीदवार विधानसभा क्षेत्र या निर्वाचन क्षेत्र के मतदान केन्द्रों या मशीनों की क्रम संख्या का विकल्प दे सकते हैं, बशर्ते कि उस क्षेत्र या सीट में प्रयुक्त अधिकतम पांच प्रतिशत ईवीएम की जांच और सत्यापन प्रक्रिया हो। इससे यह सुनिश्चित होगा कि आवेदक की पसंद के अनुसार पूरे निर्वाचन क्षेत्र से ईवीएम का चयन किया जाए तथा किसी विशेष मशीन के चयन या उसे छोड़ने में किसी तीसरे पक्ष या अधिकारी की भागीदारी नहीं होगी।
यदि कोई भी आवेदक उम्मीदवार किसी विशेष मतदान केन्द्र की कोई विशिष्ट इकाई – बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट या वीवीपैट का चयन करता है, तो वह उस मतदान केन्द्र पर प्रयुक्त उसी सेट की अन्य इकाइयों को चुनने के लिए बाध्य नहीं है।आयोग किसी भी मशीन से अपनी इच्छा के अनुसार प्रायोगिक मतदान करके यह जांच कर सकते हैं कि मशीन से सही मतदान हुआ है या नहीं। लेकिन इसके लिए अधिकतम मतों की संख्या 1400 तय की गई है। इसी प्रकार तय प्रक्रिया के तहत वीवीपैट की भी गिनती की जाएगी.